साधना स्थल आज भी मौजूद हैं
शंकराचार्य मन्दिर . जगद्गुरु शंकराचार्य अपनी भारत यात्रा के दौरान यहां आए थे और उनका साधना स्थल आज भी मौजूद हैं यह मन्दिर अपने आप में अद्वितीय हैं। एक ऊंचे अष्टभुजाकार चबूतरे पर यह मंदिर व्यवस्थित है यहां पहुंचने के लिए सौ सीढियों से गुजरना पड़ता है। कहा जाता है कि कश्मीर यात्रा मे माता शक्ति से प्रभावित होकर उनके वर्णन मे अपनी महान रचना सौंदर्य लहरी उत्पति की। कश्मीर, भारत में प्रकृति द्वारा किया गया अलौकिक श्रंगार। शंकराचार्य मंदिर केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर शहर में डल झील के पास शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है।
यह मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर का नाम तख़्त-ए-सुलेमन करने की भी अलगाववादियों की कोशिश है। यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादात्य ने 371 ई. पूर्व में करवाया था। डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पँहुचने के लिए सीढ़ियाँ बनवाई थी। इस मंदिर की वास्तुकला भी काफ़ी ख़ूबसूरत है। भगवान शिव को समर्पित ये भव्य मंदिर अत्यंत प्राचीन तथा भव्य है। जगदगुरु शंकराचार्य अपनी भारत यात्रा के दौरान यहाँ आये थे। उनका साधना स्थल आज भी यहाँ बना हुआ है। लेकिन ऊँचाई पर होने के कारण यहाँ से श्रीनगर और डल झील का बेहद ख़ूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।