Historical Tourism

रानी की वाव

एक रानी ने अपने राजा की याद में बनवाया था।

हम आज आपको 11 वीं सदी में बना एक ऐसे स्मारक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका चित्र RBI द्वारा 100 के नए नोटो पर छापा जा रहा हैं । यह स्मारक खूबसूरत और अद्भुत होने के साथ साथ आधुनिक इंजीनियरिंग को चुनौती देने का का काम भी करता है। इसको रानी की वाव(बावड़ी) कहा जाता है । बावड़ी एक सीढ़ीदार कुआं होता है जो प्राचीन काल में ही बनाये जाते थे।ये गुजरात के पाटण में स्थित है। जु जून 2014 में यूनेस्को ने इसको विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी है। पाटण का प्राचीन नाम अनहिलपुर था और ये गुजरात की राजधानी रही है,रानी की बावड़ी को 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव सोलंकी की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामती ने बनवाया था। सोलंकी वंश के समय की वास्तुकला चमत्कृत करती है। इस बावड़ी की स्तंभ और दीवारें भी चमत्कृत करती हैं । ये राम,बामन,महिषासुरमर्दिनी,कल्कि आदि अवतारों के चित्रों से सुसज्जित हैं।सभी भगवान विष्णु के अवतार हैं। बावड़ी 64 मीटर लंबी 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है ये बहुत ही अनूठी बावड़ी है

रानी की वाव बावड़ी 7 मंजिला है । 7 मंजिले होने का कारण मनुष्य के शरीर में मौजूद 7 चक्रों से है। पहले इस बावड़ी के आसपास तमाम तरह के आयुर्वेदिक पौधे थे, जिसकी वजह से रानी की वाव में एकत्रित पानी को बुखार, वायरल रोग आदि के लिए काफी अच्छा माना जाता था। वहीं इस बावड़ी के बारे में यह मान्यता भी है कि इस पानी से नहाने पर बीमारियां नहीं फैलती हैं।